Author(s): प्रांशु कुमार मौर्य, रामू मौर्य, मोनिका विष्वकर्मा

Email(s): Pranshumaurya9@gmail.com

DOI: Not Available

Address: प्रांशु कुमार मौर्य1, रामू मौर्य2, मोनिका विष्वकर्मा3
1असिस्टेंट प्रोफेसर (योग विभाग), देव संस्कृति विश्वविद्यालय साकरा कुम्हारी दुर्ग, छत्तीसगढ़.
2योग प्रशिक्षक, योग वेलनेस सेंटर, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय मिलक रामपुर, उत्तर प्रदेश.
3योग चिकित्सक, सर्वाग योग केन्द्र, होलिस्टिक वेलनेस सेंटर, गोमती नगर लखनऊ, उत्तर प्रदेश.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 10,      Issue - 2,     Year - 2022


ABSTRACT:
वर्तमान समय में मानव जीवन अस्त व्यस्त होने के कारण विभिन्न प्रकार की शारीरिक मानसिक बीमारियां दिन प्रतिदिन की जिंदगी में बढ़ती जा रही हैं इन बीमारियों का निराकरण हम योग के माध्यम से कर सकते हैं। जिनमें सूर्यभेदी प्राणायाम अत्यंत लाभकारी माना गया है। जो मोटापा से लेकर के थायराइड, अस्थमा, गठिया, मधुमेह, साइनस, रक्त संचार को सुव्यवस्थित करना, नाड़ी संस्थान को मजबूत बनाना, बुढ़ापा एवं मृत्यु को दूर करना, सभी प्रकार के रोगों को सूर्यभेदी प्राणायाम से शीघ्र ही दूर किया जा सकता है। साथ ही साथ कुण्डलिनी शक्ति का जागरण भी सूर्यभेदी प्राणायाम से सरलता पूर्वक हो जाता है। सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर को ऊर्जा के साथ साथ शरीर में होने वाली सभी प्रकार की क्रियाओं का संचालन, परिवर्तन तथा शरीर के विजातीय द्रव्यों का निष्कासन एवं शरीर की शुद्धि के साथ-साथ कृमि रोगों से रोगों से शरीर को बचाकर, शरीर को स्वस्थ एवं दीर्घायु प्रदान करने का लाभ भी सूर्यभेदी प्राणायाम के माध्यम से प्राप्त होते हैं।


Cite this article:
प्रांशु कुमार मौर्य, रामू मौर्य, मोनिका विष्वकर्मा. सूर्यभेदी प्राणायाम का शरीर पर पड़ने वाले प्रभावएवं लाभ का विवेचनात्मक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(2):73-0.

Cite(Electronic):
प्रांशु कुमार मौर्य, रामू मौर्य, मोनिका विष्वकर्मा. सूर्यभेदी प्राणायाम का शरीर पर पड़ने वाले प्रभावएवं लाभ का विवेचनात्मक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(2):73-0.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-2-4


संदर्भ
1.  हठरत्नावली - श्रीनिवासयोगी कृत (हिंदी अनुवाद)- ओम श्री डिवाइन पब्लिकेशन, सिरसा, हरियाणा भारत।
2.  घेरण्ड संहिता, घेरण्ड ऋषिकृत (हिन्दी व्याख्या एवं अनुवाद) - स्वामी निरंजनानन्द, बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर, बिहार भारत।
3.  शिवसंहिता - (एक आलोचनात्मक संस्करण), कैवल्यधाम श्रीमन्माधव योगमन्दिर समिति, लोनावाला, पुणे, महाराष्ट्र ,भारत।
4.  सिद्धसिद्धान्तपद्धति, गोरक्षनाथ कृत (हिन्दी अनुवाद व्याख्या) - स्वामी द्वारिका दास, शास्त्री, चौखम्बा विद्याभवन वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।
5.  हठप्रदीपिका, स्वात्माराम कृत (हिन्दी अनुवाद व्याख्या) -स्वामी दिगम्बर जी एवं पीताम्बर झा, कैवल्यधाम श्रीमन्माधव योगमन्दिर समिति, लोनावाला पुणे महाराष्ट्र भारत।
6.  वशिष्ठ संहिता, कैवल्यधाम लोनावला, पुणे, महाराष्ट्र भारत।
7.  गोरक्षसतकम् - कैवल्यधाम लोनावला, पुणे, महाराष्ट्र भारत।
8.  गायत्री महाविज्ञान आचार्य श्रीराम शर्मा आचार्य, प्रकाशक युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तर- प्रदेश, भारत।
9.  व्यक्तित्व विकास हेतु उच्च स्तरीय साधना (वांग्मय) आचार्य श्रीराम शर्मा, प्रकाशक-अखंड ज्योति संस्थान मथुरा, उत्तर - प्रदेश, भारत।
10. मानव शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान, प्रोफेसर आनंद प्रकाश गुप्ता सुमित प्रकाशन आगरा न्यू दिल्ली
11. आयुर्वेद सिद्धन्त एवम् रहस्य, आचार्य बालकृष्ण, दिव्य योग मंदिर, ट्रस्ट, पतंजलि योगपीठ, बहादराबाद हरिद्वार, उत्तराखंड - भारत
12. उच्चतर सामान्य मनोविज्ञान अरुण कुमार सिंह, प्रकाशक मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली भारत।

Recomonded Articles:

Author(s): प्रांशु कुमार मौर्य, रामू मौर्य, मोनिका विष्वकर्मा

DOI:         Access: Open Access Read More

International Journal of Reviews and Research in Social Sciences (IJRRSS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in....... Read more >>>

RNI:                      
DOI:  

Popular Articles


Recent Articles




Tags