ABSTRACT:
राजनांदगांॅव छत्तीसगढ़ को छोटा सा शहर है, किन्तु राजनीतिक चेतना के दृष्टिकोण से सदैव अग्रणी रहा हैं। मजदूरो में दिन-प्रतिदिन असंतोष बढ़ता जा रहा था। परिणामस्वरूप ठाकुर प्यारेलाल सिंह ने मजदूरों तथा महिला मजदूरों को जागृत और संगठित करने का काम आरंभ किया। मजदूरों में राजनीतिक तौर पर सन् 1919 में पहली बार चेतना जागृत हुई जब रौलेट एक्ट के विरोध में राजनांदगॉंव शहर तथा मिल बंद रही। पुनः बालगंगाधर तिलक की मृत्यु पर बंगाल-नागपुर-कॉटन मिल के मजदूरों ने दो दिन काम बंद रखा। नवम्बर 1917 से ठाकुर प्यारेलाल सिंह मजदूर आंदोलन से जुड़ गये थे इसी वर्ष ठाकुर साहब की मुलाकात कुछ मिल मजदूरों से हुई। अपने स्वभाव के अनुसार मजदूरों से हालचाल पूछा तब मजदूरों ने अपने साथ हो रहे अत्याचारो व शोषण के बारे में बताया कि उनकों 12 घण्टे रोजाना काम करवाने के बाद भी सही मायने में पर्याप्त मजदूरी नही मिलती। मजदूरों की परेशानियों को सुनकर ठाकुर साहब ने मजदूरो के अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए दृढ़ संकल्पित हो गये।
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डी. एन. खुटे. 1920 में छत्तीसगढ़ का प्रथम मजदूर आंदोलन एवं ठा.प्यारेलाल सिंह. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):96-2. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00014
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डी. एन. खुटे. 1920 में छत्तीसगढ़ का प्रथम मजदूर आंदोलन एवं ठा.प्यारेलाल सिंह. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):96-2. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00014 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-2-5
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