Author(s): मनीषा यदु, हेमलता बोरकर वासनिक

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DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00049   

Address: मनीषा यदु1, हेमलता बोरकर वासनिक2
1शोधार्थी, समाजषास्त्र एवं समाजकार्य अध्ययनषाला, पं रविषंकर शुक्ल वि.वि. रायपुर (छ.ग.)
2सह प्राध्यापक, समाजषास्त्र एवं समाजकार्य अध्ययनषाला, पं रविषंकर शुक्ल वि.वि. रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 11,      Issue - 4,     Year - 2023


ABSTRACT:
महिला स्वैच्छिक संगठन से आषय ऐसे संगठनो से है जिसमें कि महिलाएं अपनी स्वयं की इच्छा से एक ऐसे संगठन का निर्माण करती है जो कि महिलाओं पर की जा रही हिंसा, क्रूरता, अत्याचार व दहेज के कारण की जा रही हत्या, छेड़छाड़ की घटना, बलात्कार, घर के पुरूष सदस्य द्वारा प्रताड़ित किया जाना, कार्यस्थल पर होने वाले अपराध, चौक-चौराहों पर होने वाले अपराध, आर्थिक समस्याओं का सामना आदि प्रकार के घटनाएं जो महिला को प्रभावित करती है के खिलाफ कार्य करती है। इन्हीं संगठनो में से एक संगठन है छत्तीसगढ़ की बालोद जिले की महिला कमाण्डों जिसमें ग्रामीण घरेलू महिलाएं स्वैच्छिक समूह बनाकर समाज/गाँव में व्याप्त सामाजिक समस्याओं को दूर करने का प्रयास करती है। महिला कमाण्डों नाम का यह स्वैच्छिक संगठन महिलाओं के प्रति होने वाले ऊपर वर्णित सभी अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती है, और मुख्यतः षराब पीने वाले पुरूष सदस्य तथा जो शराब पीकर अनुचित व्यवहार करते है उन पर नियंत्रण करने का प्रयास करती है और समाज में व्याप्त षराबखोरी की समस्याओं को जड़ से समाप्त करने के लिए शराबबंदी का मुहिम चलाती है। इस प्रकार इस महिला स्वैच्छिक संगठन का समाज के विकास में क्या भूमिका है का व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए षोधकर्ता को शोध पद्धति की आवष्यकता होती है, क्योंकि षोध पद्धति शोधकर्ता के कार्य को वैज्ञानिक बनाने के लिए दिषा प्रदान करती है। प्रस्तुत अध्ययन के द्वारा महिला स्वैच्छिक संगठनों के अध्ययन में षोध पद्धति की भूमिका को ज्ञात करना है। इस शोध पत्र में वर्णात्मक शोध प्रविधि का प्रयोग किया गया है, वर्णनात्मक शोध का उद्देष्य किसी घटना या स्थिति का सम्पूर्ण एवं सही-सही चित्रण करना है। किसी भी शोध पद्धति के चयन करने से एवं उसके चरणबद्ध तरीके से पालन करने से षोध में मितव्ययता और पक्षपात से बचा जा सकता है। षोध पद्धति यह निर्देष देता है कि षोधकर्ता जो भी जानना चाहता है उसका उद्देष्य स्पष्ट षब्दो में हो, तथा अपने शोध करने से पहले विधियों का निर्धारण एवं पूर्व में हुए अध्ययन को ठीक से पढ़कर समझ ले तथा निदर्ष की मात्रा एवं इसकी चयन विधि का निर्धारण कर ले उसके पश्चात् अध्ययन के दौरान जो भी तथ्य सामने आते हैं उनकी विष्वसनीयता एवं प्रामाणिकता की जांच करना है।


Cite this article:
मनीषा यदु, हेमलता बोरकर वासनिक. महिला स्वैच्छिक संगठनो के अध्ययन में शोध पद्धति की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(4):291-6. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00049

Cite(Electronic):
मनीषा यदु, हेमलता बोरकर वासनिक. महिला स्वैच्छिक संगठनो के अध्ययन में शोध पद्धति की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(4):291-6. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00049   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-4-15


संदर्भ
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3.      कौषिक आषा, (2004) (2011) नारी सषक्तीकरण विमर्ष एवं यथार्थ (द्वितीय परिवर्धित संस्करण), पोइन्टर पब्लिषर्स जयपुर।
4.      रामचन्द्रन बालकृष्णन (2008) महिला सषक्तिकरण में स्वयं सहायता समूह के प्रभाव का अध्ययन कन्याकुमारी अप्रकाषित शोध प्रबंध।
5.      सोनकर बेबी (2019), ग्रामीण महिलाओं में सामाजिक-आर्थिक रूपान्तरण का एक समाजवैज्ञानिक अध्ययन, अप्रकाषित शोध प्रबंध।
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7.      https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8
8.      https://www.mpgkpdf.com/2021/10/volantary-organisation-kya-hote-hain.html
9.      https://www.indiatimes.com/hindi/women/women-commando-brigade-is-fighting-social-evils-572061.html
10.   https://hindi.news18.com/news/chhattisgarh/balod-story-womens-day-special-these-women-commandos-of-balod-have-been-running-liquor-campaign-for-15-years-chhsa-cgpg-2917807.html

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