Author(s): गिरिजा साहू, शैलेन्द्र कुमार ठाकुर, कृष्णा चटजी

Email(s): vcservices25@gmail.com

DOI: 10.52711/2454-2687.2024.00010   

Address: गिरिजा साहू1, शैलेन्द्र कुमार ठाकुर2, कृष्णा चटजी3
1शा. विश्वनाथ यादव तामस्कर, स्वशासी स्नातको. महावि. दुर्ग, महाविद्यालय, भिलाई-3, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ
2सहायक प्राध्यापक, हिन्दी, डॉ. खू.च.ब.शास.स्नातका., छत्तीसगढ
3सहायक प्राध्यापक, हिन्दी, शा. विश्वनाथ यादव तामस्कर, स्वशासी स्नातो. महावि. दुर्ग, छत्तीसगढ
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 12,      Issue - 1,     Year - 2024


ABSTRACT:
कविता आम आदमी के जीवन पर प्रकाश डालने वाले एक ऐसी विधा है जो लोक चेतना को चेताने के साथ ही लोक मानस को जगाने का भी काम करती है। वास्तव में कविता कभी हंसाती है तो कभी रूलाती है उसके साथ ही साथ हमें एक अच्छा आदमी बनने की सीख भी देती है। आद्य कवि वाल्मीकि से शुरू होती हुई यह परम्परा कालीदास, भावभूति, कबीर, तुलसी, सूर से होते हुए निराला, जयशंकार प्रसाद, पंत, अज्ञेय, मुक्तिबोध, धूमिल जैसे साहित्य सृजन करने वाले उन तमाम कवियों की वैचारिक भावभूमि से हम पाठकों को आम मानवीकी व्याकरण एवं अनु भवों से अनुभावित करती है। कविता हमेें जीवन दर्शन से परिचित कराती है। वहीं हमें जीवन के बहुमूल्य अर्थ कोे समझाती भी है। कविता मनुष्य को मनुष्य बनने की सीख देते हुए प्रतीकों, बिम्बों चित्रों एवं रेखाचित्रों के माध्यम से आम आदमी की पीड़ा को आम आदमी तक पहुॅंचाती है। इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। हमारे सम्मुख रखते हुए सामाजिक सोच एवं विचार को प्रस्तुत करने का आईना दिखाने का काम करती है।


Cite this article:
गिरिजा साहू, शैलेन्द्र कुमार ठाकुर, कृष्णा चटजी. समकालीन हिंदी कविता में छत्तीसगढ़ के युवा कवियों का योगदान. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):50-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00010

Cite(Electronic):
गिरिजा साहू, शैलेन्द्र कुमार ठाकुर, कृष्णा चटजी. समकालीन हिंदी कविता में छत्तीसगढ़ के युवा कवियों का योगदान. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):50-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00010   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-1-10


संदर्भ ग्रंथ सूची:-
1-   मुक्तिबोध गजानन माधव, चॉंद का मुॅंह टैढ़ा है, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन नयी दिल्ली, चौबीसवॉं संस्करण 2018 पृ. क्र. 254
2-   &
3-   श्री रंग, छत्तीसगढ़ के कवि, विभा प्रकाशन इलाहाबाद, द्वितीय संस्करण 2016 पृ. क्र. 75
4-   वही, पृ. क्र. 76
5-   वही, पृ. क्र. 70
6-   वही, पृ. क्र. 72
7-   शर्मा विनोद, धरती कभी बॉझ नहीं होती अंतिका प्रकाशन, गाजियाबाद, प्रथम संस्करण 2019 पृ. क्र. 44
8-   वही, पृ. क्र. 17
9-   डॉ. शिव शैलेन्द्र, समर शेष है साथी, वैभव प्रकाशन, रायपुर (छ.ग.) प्रथम संस्करण 2022 पृ. क्र. 32
10-  वही, पृ. क्र. 103
11-  श्री रंग, छत्तीसगढ़ के कवि, विभा प्रकाशन इलाहाबाद, द्वितीय संस्करण 2016 पृ. क्र. 97
12-  वही, पृ. क्र. 118
13-  &
14-  &
15-  सिंघई अशोक, कविता छत्तीसगढ़, प्रमोद वर्मा, स्मृति संस्थान रायपुर (छ.ग.) पृ. क्र. 4
16-  शिव शैलेन्द्र समर शेष है साथी, पृ. क्र. 03

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