Author(s): प्रियांकी गजभिये

Email(s): priyankirjn7910@gmail.com

DOI: 10.52711/2454-2687.2024.00019   

Address: प्रियांकी गजभिये
सहायक प्राध्यापक (इतिहास)] षास. डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर स्नातकोत्तर महाविद्यालय] डोंगरगांव] जिला-राजनांदगांव (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 12,      Issue - 2,     Year - 2024


ABSTRACT:
उदरपूर्ति के लिए निरंतर भागता आखेटक आदिमानव जहां कही भी किसी कन्दरा में जरा सा भी स्थिर हुआ। उसने अपने भीतर उभरते सौन्दर्य को चित्रकला के माध्यम से उकेरा। विष्व में विद्यमान षैलाश्रयों और षैलचित्रों के साक्ष्य आज भी उस काल के मानव की अभिव्यक्ति की कहानी कहते हैं। षैलचित्रों को एक ओर जहां मानव सभ्यता के क्रमिक विकास में कला के उभरते चिन्ह के रूप में देखा जा सकता है] तो वहीं उन्हें दुसरी ओर इतिहास लेखन की विकसित होती प्रारम्भिक] सांकेतिक षैली के विकास का प्रथम सोपान भी कहा जा सकता है। प्रस्तर उपकरणों से आदिमानव की आखेटक जीवन षैली का अनुमान मिलता है] जबकि भित्ती चित्रों से आखेटक जीवन पद्वति और उस काल के मानव में उभरती कला और सभ्यता के अंष भी दिखायी पड़ते हैं। इन चित्रों की सबसे बड़ी विषेषता यह है कि इनका चित्रण स्वाभाविक हुआ है। जो मानव के चतुर्दिक विद्यमान दृष्यों जैसे आखेट] नृत्य] संगीत से प्रेरित है। षैल चित्र मानवकला के प्राचीनतम साक्ष्य है। विष्व में यत्र-तत्र बिखरे हुएष्षैलचित्रों की श्रृखलाओं में उकेरी गई आकृतियों के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि छत्तीसगढ़ के षैलाश्रयों पर खोजी गई षैलचित्रों में मानव आकृतियां बहुतायत में उकेरी पाई गई है। जो छत्तीगसढ़ के षैलचित्रों के साक्ष्यों को विष्व पटल पर एक विषिष्ट पहचान देती है।


Cite this article:
प्रियांकी गजभिये. मानव विकास के इतिहास में कला के उभरते चिन्ह और शैलचित्र (छ.ग. के विषेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):111-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00019

Cite(Electronic):
प्रियांकी गजभिये. मानव विकास के इतिहास में कला के उभरते चिन्ह और शैलचित्र (छ.ग. के विषेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):111-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00019   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-2-6


संदर्भ ग्रंथ सूची:-
1-     समग्र छत्तीसगढ़] छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी
2-     छत्तीसगढ़ का जनजातीय इतिहास । हीरालाल षुक्ल] मध्य प्रदेष हिन्दी ग्रंथ अकादमी ।
3-     प्राचीन भारत का इतिहास तथा सांस्कृतिः के.सी. श्रीवास्तव] युनाईटेड बुकडिपो इलाहाबाद।
4-     प्राचीन भारत का इतिहासः डॉ. ए.के. मित्तल] साहित्य भवन पब्लिकेषन आगरा
5-     कला वैभव संस्करण 2012ः इन्दिरा कला संगीत विष्वविद्यालय] खैरागढ़]
6-     छत्तीसगढ़ के चित्रित षैलाश्रय 17/06/2019] प्रभात कुमार सिंह] - गूगल ज्ञानी ।

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