ABSTRACT:
प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य भारत के संपोषित कृषि विकास दृ मुद्दे एवं चुनौतियाँ पर आधारित है कृषि ग्रामीण समुदायों की रीढ़ है जो स्थानीय लोगो के लिए आय और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है यह भोजन का भी एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है ग्रामीण किसान अपने स्थानीय समुदायों में उपभोग किये जाने वाले अधिकांश भोजन का उत्पादन करते है अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य कृषि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करते है बेरोजगारी को काम करना है इसके साथ ही स्वच्छ जल, शिक्षा सुविधा बिजली और उचित संचार प्रदान करना है इसके मुख्य घटक शिक्षा उद्यमता, भौतिक बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचा है। ग्रामीण विकास की विशेषता स्थानीय स्तर पर उत्पादित आर्थिक विकास और रणनीतियों पर जोर देना है ग्रामीण भारत के विकास में गरीबी और असमानता चुनौतियाँ संपोषित विकास संसाधनों का नियमित दोहन करने से है तथा प्रशासनिक नीति निर्माण से है। ष्संपोषित विकासष् वह विकास है जिसके अंतर्गत भावी पीढ़ियों के लिए आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमताओं से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति किया जाता है। अतः पर्यावरण सुरक्षा के बिना विकास को सतत नहीं बनाया जा सकता अर्थात भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का वर्तमान समय में इस प्रकार प्रयोग करना जिससे आर्थिक विकास एवं पर्यावरण सुरक्षा के बीच एक वांछित संतुलन स्थापित हो सके।
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कुबेर सिंह गुरुपंच. भारत के संपोषित कृषि एवं ग्रामीण विकास - मुद्दे एवं चुनौतियाँ. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(3):159-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00027
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कुबेर सिंह गुरुपंच. भारत के संपोषित कृषि एवं ग्रामीण विकास - मुद्दे एवं चुनौतियाँ. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(3):159-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00027 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-3-4
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