Author(s): अंजली कुमारी

Email(s): anjali.guddi89@gmail.com

DOI: 10.52711/2454-2687.2024.00028   

Address: अंजली कुमारी
नीलाम्बर पीताम्बर विष्व विद्यालय मेदिनीनगर, पलामू, झारखण्ड, भारत।.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 12,      Issue - 3,     Year - 2024


ABSTRACT:
भारत एक लोकतांत्रिक देष है, और लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत होती है, जो स्थानीय स्वषासन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। भारत में पंच परमेष्वर तथा महिला स्वतंत्रता की परंपरा प्राचीन काल से ही प्रचलित थी। पंचपरमेष्वर के रूप में ईमानदार और निष्ठावान सदस्य के रूप में नियुक्त होकर सच्चा और सस्ता न्याय देते थे। तथा महिलाएं स्वतंत्रतापूर्व तथा महिलाए स्वतंत्रता पूर्वक अपने को साक्षर, षिक्षित और सषक्त बनकर, सामाजिक व्यवस्था को संतुलित एवं हितकारी बनाने में बहुत हद तक सफल हो पायी है। पंचायती राज की शुरूआत सन 1959 में की गई। तभी से यह सुनिष्चित किया गया कि देष में समग्र विकास में महिलाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। लेकिन पुरूष प्रधान एवं पुरूषोचित मानसिकता के पोषक समाज में आधि दंनियाँँ हिस्सेदारी कही जाने वाली महिलाओं का चारदिवारी के अंदर कैद किया गयाा, अथवा महिलाओं को घरों की चारदिवारी के अंदर बंद रखने के लिए सतत् प्रयास किया गया। ताकि वे निखर, अविकसित और शक्तिहीन हो जाए। जिससे उनका समाज के कार्यों व स्वयं के विकास में योगदान नहीं के बराबर बना रहे। और ऐसी व्यवस्था बहुत हद तक सफल बनी रही। इसका मूल कारण महिलाओं का अषिक्षित होना, उनमें जागरूकता का अभाव होना, समजा में रूढ़ीवादिता का वर्चस्व आदि मूख्य रूप से उतरदायी है।


Cite this article:
अंजली कुमारी. महिला सषक्तिकरण में पंचायती राज की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(3):167-1. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00028

Cite(Electronic):
अंजली कुमारी. महिला सषक्तिकरण में पंचायती राज की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(3):167-1. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00028   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-3-5


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