ABSTRACT:
भारत गांवों का देश है। गाॅवों की उन्नति और प्रगति पर ही भारत की उन्नति प्रगति निर्भर करती है। गाॅधी जी ठीक कहा था कि ष्ष्यदि गाॅव नष्ट होते है तो भारत नष्ट हो जाएगा।ष्ष् भारत कें संविधान.निर्माता भी इस तथ्य से भलीभांति परिचित थे। अतः हमारी स्वाधीनता को साकार करने और उसे स्थायी बनाने के लिए ग्रामीण शासन व्यवस्था की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया। हमारे संविधान में यह निदेश दिया गया है कि ष्ष्राज्य ग्राम पंचायतों के निर्माण के लिए कदम उठाएगा और उन्हें इतनी शक्ति और अधिकार प्रदान करेगा जिससे कि वे ;ग्राम पंचायतद्ध स्वशासन की इकाई के रूप में कार्य कर सकें।ष्ष् वस्तुतः हमारा जनतंत्र इस बुनियादी धारणा पर आधारित है कि शासन के प्रत्येक स्तर पर जनता अधिक से अधिक शासन कार्यो में हाथ बंटाए और अपने परए राज करने की जिम्मेदारी स्वयं झेले। भारत में जनतंत्र का भविष्य इस बात पर निर्भर काता है कि ग्रामीण जनों का शासन से कितना अधिक प्रत्यक्ष और सजीव सम्पर्क स्थापित हो जाता हैघ् दूसरे शब्दों मेंए ग्रामीण भारत के लिए पंचायती राज ही एकमात्र उपयुक्त योजना है। पंचायतें ही हमारे राष्ट्रीय जीवन की रीढ़ है। दिल्ली की संसद में कितने ही बड़े आदमी बैठें। लेकिन असल में ष्पंचायतेंष् ही भारत की चाल बनाएंगी। पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने ठीक ही कहा था कि ष्ष्यदि हमारी स्वाधीनता को जनता की आवाज की प्रतिध्वनि बनना है तो पंचायतों को जितनी अधिक शक्ति मिलेए जनता के लिए उतनी ही भली है। पंचायतीराज अधिनियम 1993 के संवैधानिक प्रावधानों के कारण अनुसूचित जनजाति वर्ग को ग्राम पचांयतों में प्रतिनिधित्व का अवसर प्राप्त हुआ है। पंचायत राज का क्रियान्वयन एवं अनुसूचित जनजाति नेतृत्व का यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि नेतृत्व की सामाजिक आर्थिक स्थिति कमोवेश अनुसूचित जन जाति वर्ग की तरह ही औसतन निम्न स्तर की है। ग्रामीण सामाजिक संरचना में परम्परागत रूप से निम्न स्थिति प्राप्त इस वर्ग की महिलाओं को नेतृत्व करने का यह प्रथम अवसर प्राप्त हुआ है। पंचायत राज की बहुविविध गतिविधियों में ग्राम पंचायत बांसा के अनुसूचित जनजाति के नेतृत्व की स्थिति प्रशिक्षणार्थी के समान रही है। अशिक्षाए कमजोर सामाजिक आर्थिक पृष्ठ भूमि कार्य के औपचारिक अनुभव का अभाव जैसे कारणों से इन नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति अनभिज्ञता दिखाई दी। इसके बावजूद ग्रामीण विकास पंचायत की समस्याएॅ अनुसूचित जनजाति वर्ग उत्थान जैसे विषयों पर इस नेतृत्व ने स्पष्ट विचार व्यक्त किए जिसमें ये देखने में आया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग में नेतृत्व की अपार संभावनाएं है।
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गायत्री चैरसिया. अनुसूचित जनजाति के नेतृत्व की प्रवृत्ति (रीवा जिले के ग्राम पंचायत बांसा के विशेष संदर्भ में) . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 502-510.
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गायत्री चैरसिया. अनुसूचित जनजाति के नेतृत्व की प्रवृत्ति (रीवा जिले के ग्राम पंचायत बांसा के विशेष संदर्भ में) . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 502-510. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-38