ABSTRACT:
भारत गांवों का देश है। गॉवों की उन्नति और प्रगति पर ही भारत की उन्नति प्रगति निर्भर करती है। गॉधी जी ने ठीक कहा था कि यदि गॉव नष्ट होते है तो भारत नष्ट हो जाएगा।’’ भारत कें संविधान-निर्माता भी इस तथ्य से भलीभांति परिचित थे। अतः हमारी स्वाधीनता को साकार करने और उसे स्थायी बनाने के लिए ग्रामीण शासन व्यवस्था की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया। हमारे संविधान में यह निर्देश दिया गया है कि राज्य ग्राम पंचायतों के निर्माण के लिए कदम उठाएगा और उन्हें इतनी शक्ति और अधिकार प्रदान करेगा जिससे कि वे (ग्राम पंचायत) स्वशासन की इकाई के रूप में कार्य कर सकें।’’ पंचायत राज का क्रियान्वयन एवं ग्रामीण महिला नेतृत्व का यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि नेतृत्व की सामाजिक आर्थिक स्थिति कमोवेश अनुसूचित जन जाति वर्ग की तरह ही औसतन निम्न स्तर की है। ग्रामीण सामाजिक संरचना में परम्परागत रूप से निम्न स्थिति प्राप्त इस वर्ग की महिलाओं को नेतृत्व करने का यह प्रथम अवसर प्राप्त हुआ है। पंचायत राज्य की बहुविविध गतिविधियों में ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व की स्थिति प्रशिक्षणार्थी के समान रही है। अशिक्षा, कमजोर सामाजिक आर्थिक पृष्ठ भूमि कार्य के औपचारिक अनुभव का अभाव जैसे कारणों से इन नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण प्रावधानों के प्रति अनभिज्ञता दिखाई दी। इसके बावजूद ग्रामीण विकास पंचायत की समस्याएॅ अनुसूचित जन जाति वर्ग उत्थान जैसे विषयों पर इस नेतृत्व ने स्पष्ट विचार व्यक्त किए।
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तरूण प्रताप सिंह, निधि सिंह. पंचायती राज में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका (सीधी जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):89-5. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00013
Cite(Electronic):
तरूण प्रताप सिंह, निधि सिंह. पंचायती राज में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका (सीधी जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):89-5. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00013 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-2-4
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