Author(s): यषवंत साव

Email(s): yashwantsao@gmail.com

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Address: डा यषवंत साव
सहायक प्राध्यापक (हिन्दी), मदनलाल साहू शासकीय महाविद्यालय अरमरीकला जिला-बालोद छग.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 9,      Issue - 1,     Year - 2021


ABSTRACT:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में समाचार पत्रों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। स्वतंत्रता पूर्व पत्रकारिता समाज एवं देषहित के लिये समर्पित रही है। समाज एवं राष्ट्र निर्माण में हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहा जाता है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ है इसमें चैथे स्तंभ के रुप में पत्रकारिता को शाामिल किया गया है। विधायिका का कार्य कानून बनाना है, कार्यपालिका उसे लागू करती है और न्यायपालिका उन कानूनों की व्याख्या कर उसका उल्लंघन करने वालों को दंडित करती है। किन्तु इन तीनों स्तंभों के सहारे लोकतंत्र दृढ़तापूर्वक खड़ा नहीं रह सकता उसे एक चैथे स्तंभ की भी आवष्यकता होती है, उसका नाम है पत्रकारिता जो जनता की वास्तविक स्थितियों का दर्षान तो कराता ही है, लोकतंत्र के बहुआयामी विकास में बड़ी भूमिका अदा करता है। किसी देष में स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया की भी उतनी आवष्यकता है जितनी लोकतंत्र के अन्य तीन स्तंभो की है। इसका संबंध समाज के अंतिम व्यक्ति से लेकर नेतृत्व के षिखर-पुरुष तक होता है।


Cite this article:
यषवंत साव. हिन्दी पत्रकारिता का विकास गांधी युग तक. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2021; 9(1):1-5.

Cite(Electronic):
यषवंत साव. हिन्दी पत्रकारिता का विकास गांधी युग तक. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2021; 9(1):1-5.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2021-9-1-1


संदर्भ सूची

1      शर्मा श्रीपालः पत्रकारिता की रुपरेखा, सुमीत एन्टरप्राइजेज़, नई दिल्ली, 2003, पृ.-50

2      शर्मा श्रीपालः पत्रकारिता की रुपरेखा, सुमीत एन्टरप्राइजेज़, नई दिल्ली 2003, पृ.-53

3      शर्मा रामविलासः भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा की विकास परंपरा, राजकमल प्रकाषन,. नईदिल्ली 1975, पृ.-24

4      मिश्र कृष्णबिहारीः हिन्दी पत्रकारिता, भारतीय ज्ञानपीठ नयी दिल्ली 2011, पृ.-132

5      कुमार अमरेन्द्रः युगप्रवर्तक पत्रकार और पत्रकारिता, नोएडा, अक्षराकंन प्रकाषन, 2005 ,पृ.-109

6      जैन संजीव कुमार: पत्रकारिता सिद्धांत एवं स्वरूप, कैलाष पुस्तक सदन भोपाल, पृ.-17

7      शर्मा श्रीपालः पत्रकारिता की रुपरेखा, सुमीत एन्टरप्राइजेज़, नई दिल्ली , 2003, पृ.-69

8      गुप्ता यू. सी.ःपत्रकारिता समस्या और समाधान, अर्जुन पब्लिषिंग हाऊस नई दिल्ली 2009, पृ.-53

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