Author(s): कुबेर सिंह गुरूपंच

Email(s): kubergurupanch@gmail.com

DOI: Not Available

Address: डॉ. कुबेर सिंह गुरूपंच
प्राचार्य, देव संस्कृति कॉलेज ऑफ एजुकेशन एण्ड टेक्नोलॉजी खपरी, दुर्ग छग.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 10,      Issue - 4,     Year - 2022


ABSTRACT:
आधुनिक भारत में नई शिक्षा नीति का विशिष्ट महत्व है। इनसे रचनात्मक और नवाचार को महत्व मिलेगा प्रस्तुत शोधपत्र में उच्च शिक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी शिक्षा नीति के बारे में बताया गया है। समय के साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन आवश्यक होता है ताकि देश की उन्नति सही तरीके से और तेजी से हो सके। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति को 34 वर्षो के बाद लाया गया है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पालको को केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी देकर उनकी मानसिक बौद्धिक क्षमता को और भी ज्यादा प्रबल बनाना है शिक्षा किसी भी देश और समाज के विकास की महत्वपूर्ण आधार होता है। शिक्षा के बलबूते ही किसी भी देश का विकास तेजी से किया जा सकता है। हालांकि समय के साथ-साथ हर चीजों में बदलाव आता है और उसके अनुसार शिक्षा में भी बदलाव किया जाना चाहिए क्योंकि पहले समय में टेक्नोलाॅजी का इतना विकास नहीं हुआ था लेकिन अब दिन प्रतिदिन टेक्नोलॉजी का विकास होते जा रहा है, लोग मॉडर्न टेक्नोलॉजी की और कदम बढ़ा रहे है। ऐसे में बालकों को न केवल किताबी ज्ञान बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान और टेक्निकल ज्ञान भी दिया जाना चाहिए ताकि अपनी योग्यताओं को बढ़ा सके और उसके बलबूते अपने भविष्य को बेहतर बना सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए साल 2020 को संसद में नई शिक्षा नीति को लाने के लिए बिल पास किया गया। यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। इससे पहले दो बार शिक्षण के तरीके से बदलाव हो चुका है पहला इंदिरा गांधी के दौरान और दूसरा राजीव गाधी के दौरान बच्चों को शिक्षा देने के लिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में हर बच्चे और उनके माता पिता की जानकारी होनी चाहिए। इस शिक्षा के माध्यम से बच्चों के मन में नए-नए चीजों को सीखने के प्रति रुचि जगाना है। ताकि बच्चे जीवन में अपनी योग्यताओं के बलबूते एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सके। इसके अतिरिक्त अपने मातृभाषा को बढ़ावा देना भी इस शिक्षा नीति का उद्देश्य है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के पाठ्यक्रम को 5$3$3$4 के मॉडल में तैयार किया पहले यह 10$2 के अनुसार था। इस माॅडल के अनुसार प्रथम 5 वर्षों को फाउंडेशन स्टेज के रूप में रखा गया है, जिसका उद्देश्य के बेहतरीन भविष्य के लिए मजबूत नींव को तैयार करना है। इन 5 वर्षों के पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी के द्वारा तैयार किया जाएगा। इसमें प्राइमरी के 3 और पहली और दूसरी कक्षाओं को सम्मिलित किया जाएगा। इस नई मॉडल के कारण बच्चों के लिए किताबों का बोझ हल्का हो जाएगा अब वे आनंद लेते हुए सीख पाएंगे। इसके अगले 3 वर्षों में तीसरी, चैथी और पाँचवी कक्षाओं को शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना है और इन कक्षाओं के बच्चों को गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाया आएगा। इसके बाद के 3 वर्षों को मध्यम स्तर की तरह माना जाएगा, जिसमे 6, 7 और 8 वी कक्षाओं को शामिल किया जाएगा। इन कक्षाओं के बालकों को एक निश्चित पाठयक्रम के अनुसार पढ़ाया जाएगा। इतना ही नहीं इन पाहयक्रम के अतिरिक्त बच्चों को टेक्निकल ज्ञान भी दिए जाएंगे। बच्चों को कोडिंग भी सिखाया जाएगा, जिससे वे भी चाइना के बच्चों की तरह ही छोटी उम्र में ही सॉफ्टवेयर और एप बनाना सीख पाएंगे। आगे के 9वी से 12वी तक की कक्षाओं को अंतिम स्तर में रखा जाएगा, जिसके दौरान बच्चे अपने मनपसंद विषयों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर पाए। इस तरीके से नई शिक्षा नीति के माध्यम से न केवल बालकों के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा बल्कि बच्चों के शिक्षण के तरीके में भी सुधार है।


Cite this article:
कुबेर सिंह गुरूपंच. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- चुनौतियाँ एवं समाधान. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):199-7.

Cite(Electronic):
कुबेर सिंह गुरूपंच. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- चुनौतियाँ एवं समाधान. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):199-7.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-4-9


सन्दर्भ सूची
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6.  तन्खा वरूण, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता, राजस्थान पत्रिका नागौर, 26 अगस्त 2020, सम्पादकीय पृष्ट
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