Author(s): भावना माहुले, प्रीति बाला चन्द्राकर, निलेष सोनी

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DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00012   

Address: डॉ भावना माहुले, डॉ प्रीति बाला चन्द्राकर, निलेष सोनी
भूगोल विभाग, शास. विष्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग छ.ग.
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 11,      Issue - 2,     Year - 2023


ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ के 80ः जनसंख्या कृषि कार्य करके अपना जीविकोपार्जन करते है। वर्तमान सरकार द्वारा जो विकास योजना लाया गया है। जैसे: (नरवा-नाला) गाँव का पानी जो कि बह जाता है जिसे छोटा बाँध बनाकर एकत्रित करगें तो इससे भूमिगत जल स्त्रोत बढ़ेगा, गाँव के लोगो को जरूरत पढ़ने पर उसका उपयोग किया जा सकता है। (गरवा-पशुधन) जिसमें मनुष्यों के जीवनयापन की उपयोगिता समाहित है। खेत जुताई से लेकर मनुष्यों के भोजन तक पूरी हो जाती है। (घुरवा-कचरा इकट्ठा करने की जगह) खेती के बचा कचरे, घर के कचरे, जिसमें जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया होती है। (बाड़ी-खेती) आज के आधुनिक युग में रसायानिक क्रियाओं का अत्याधिक उपयोग हो रहा है, जिससे पर्यावरण के प्रदुषण के कारण मानव के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव हो रहा है, जिसमें बाड़ी में सिंचाई, पषुधन का जैविक खाद की उपयोगिता के आधार पर यह योजनाएँ आने वाले भविष्य के लिए लाभदायक है।


Cite this article:
भावना माहुले, प्रीति बाला चन्द्राकर, निलेष सोनी. छत्तीसगढ़ की विकास योजना नरवा, घुरवा बाड़ी के संदर्भ में ग्राम कातरो का सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):72-8. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00012

Cite(Electronic):
भावना माहुले, प्रीति बाला चन्द्राकर, निलेष सोनी. छत्तीसगढ़ की विकास योजना नरवा, घुरवा बाड़ी के संदर्भ में ग्राम कातरो का सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):72-8. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00012   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-2-3


संर्दभ ग्रंथ सूची
1-   जागिड एन. एवं एस श्रीवास्तव (2019), जयपुर जिले में शस्य वितरण प्रतिरूप समस्यायें एवं संभावनायें, International Journal of Hummanities and Social Sciences Research, vol. 5, issue-2, 37-41
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