ABSTRACT:
किसी भी राष्ट्र के विकास के लिये उद्यमिता अतिआवश्यक तत्व है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि कोई भी देश उपलब्ध मानव संसाधनों का पूर्ण उपयोग करके ही आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। चूकिं मानव का आधा भाग महिलाएं होती है। इसलिये कोई राष्ट्र महिलाओं की सहभागिता के बिना आर्थिक विकास का सपना पूरा नही कर सकता है। इसलिये प्रत्येक राष्ट में आर्थिक विकास की गति को प्रोत्साहित करने में महिलाओं की भूमिका बढ़ती जा रही है। जहां तक भारत का प्रश्न है यहां पर आदिकाल से महिलाएं उपेक्षित रही है उनका कार्यक्रम का दायरा घर परिवार तक ही सीमित रहा है। सत्यता यह है कि महिलाओं के अपने घर परिवार तक सीमित रहने के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है। आज उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाएं प्रबंध, संचालन व सहभागिता के क्षेत्र में तीव्र गति से सफलता प्राप्त कर रही है। भारत की सामाजिक मान्यताओं के अनुसार महिला का स्थान एवं कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक ही सीमित है, किन्तु आदिकाल से ही वह पुरुषों से आवश्यकता पड़ने पर पीछे नहीं रही। विकसित देशों में महिलाओं पुरुषों के साथ बिना भेदभाव के कार्य करती रहती है, जबकि भारत जैसे विकासशील देश में प्रयासरत है। शिक्षा प्रशिक्षण एवं आवश्यक दिशा निर्देश जैसे-जैसे महिलाओं में विकसित हो रहा है। क्रमशः कृषि, पशुपालन के अतिरिक्त औद्योगिक एवं तृतीयक क्षेत्रों में भी महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ी है।
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सुचेता सिंह. सतना जिले में महिला उद्यमिता का विश्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):43-9. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00009
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सुचेता सिंह. सतना जिले में महिला उद्यमिता का विश्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):43-9. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00009 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-1-9
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