ABSTRACT:
जीवन बीमा का सम्बन्ध मानव जीवन में घटित होने वाली उन आकस्मिक घटनाओं की भरपाई से है जो बीमा धारक को आर्थिक क्षति से संरक्षण प्रदान करती है, बीमा जोखिम से सुरक्षा एवं भविष्य में सुनहरी बचत में लाभ प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण कारक है। प्रायः एक साधारण परिवार को अपनी दैनिक आवश्यकताओं जैसे रोटी, कपड़ा एवं मकान के लिए परिवार के कर्ता या मुखिया को निरन्तर प्राप्त होने वाली आय पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जब तक कर्ता जीवित है उसकी आय भी जीवित है और परिवार की आवश्यकताएॅ भी पूरी होती रहेंगी, परन्तु यदि दुर्भाग्यवश कर्ता को मृत्यु ने अचानक उठा लिया तो परिवार को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा। कितने ही परिवारों की दशा ऐसे समय में बडी दयनीय हो जाती है। वास्तव में बीमें का अर्थ जोखिम से सुरक्षा और भविष्य के लिए बचत है। इन दो तथ्यों को ध्यान में रखकर बीमाधारक एक निश्चित समयावधि तक प्रीमियम के रूप में अपने अंशदान की अदायगी करता है। बीमाधारक द्वारा अदा किया गया प्रीमियम मृत्यु को टालता नहीं है अपितु उत्तराधिकारियों की जो कि मृतक पर आश्रित थे एक आर्थिक मदद है।
बीमा व्यावसाय सही मायनों में एक ‘‘करार’’ या ‘‘अनुबंध’’ है जो बिमा कम्पनियों एवं बीमा धारक के बीच होता है। अनुबन्ध के अनुसार, बीमा पाॅलिसी अवधि शुरू होने से परिपक्वता अवधि आने के बीच यदि बीमाधारक कि आकस्मिक या दुर्घटनाग्रस्त मृत्यु हो जाती है तो बीमा कम्पनियाॅ मृत बीमा धारक के उत्तराधिकारी को उचित बीमा दावा के रूप में धन प्रदान करेगी। इसी तरह किसी कारणवश बीमा धारक का शरीर अंग-भंग हो जाए और वह विकलांगता की श्रेणी में आ जाए तो ऐसी स्थिति में भी दावा प्रक्रिया में धन प्रदान किया जाएगा। बीमे का वास्तविक स्वरूप जोखिम सुरक्षा है।
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विद्युत प्रकाश मिश्रा, अंजुली द्विवेदी. जीवन बीमा योजनाओं का विपणन प्रबंध (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(1):83-90.
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विद्युत प्रकाश मिश्रा, अंजुली द्विवेदी. जीवन बीमा योजनाओं का विपणन प्रबंध (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(1):83-90. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2020-8-1-17
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