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मोनिका सतनामी
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मोनिका सतनामी
अतिथि विद्वान (वाणिज्य) शा. कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सतना (म.प्र.)
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू रण्ंसंउ1981/हउंपसण्बवउ
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 3,
Year - 2018
ABSTRACT:
भारत के कर ढ़ाँचे में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम हैं ळैज् अर्थात ळववक ंदक ेमतअपबम ज्ंग(वस्तु एवं सेवाकर)। ळैज् लागू होने से पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा। इस नवीन कर प्रणाली मंे सभी प्रकार के करो को समहित किया गया हैं। जैसें-उत्पाद शुल्क, सेवाकर, मनोरंजन कर, ट।ज् आदि। अब पूरे भारत में सिर्फ एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लागू होगा। यह नवीन कर प्रणाली बहुप्रचारित एवं बहु प्रतिक्षित वस्तु एवं सेवा कर कानून 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया है इसका सीधा सम्बन्ध अब तक लगने वाले दूसरे तरह के कर जैसे सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, प्रवेश शुल्क, मनोरंजन कर, वैट सब इसी में शामिल होगें। आजादी के बाद इसे देश का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा सकता है, हांलाकि व्यापक रूप से इसका क्या लाभ होगा यह तय कर पाना मुश्किल है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर व्यापारी एवं आम उपभोक्ता में असंतोष की स्थिति व्याप्त है। एक देश एक ही कर लागू हो रहा है, 3 अगस्त 2016 को देश भर में वस्तु एवं सेवा कर पारित किया गया है, वस्तु और सेवा कर जिसे सरकार ने इसे 1 जुलाई 2017 से लागू करने का निर्णय लिया है। देश के कर ढांचे के आजादी के बाद यह सबसे बड़ा बदलाव है जिससे आम आदमी को फायदा होगा या बिल राज्य सभा द्वारा पारित किया गया जिसे लोकसभा द्वारा मई 2015 में पारित किया जा चुका है। वस्तु एवं सेवा कर के अन्तर्गत जून 2016 में नेशनल वैल्यू ऐडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
Cite this article:
मोनिका सतनामी. वस्तु एवं सेवा कर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: एक विश्लेषण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):344-349.
Cite(Electronic):
मोनिका सतनामी. वस्तु एवं सेवा कर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: एक विश्लेषण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):344-349. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-3-24