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दीपा देवांगन, के. एल. टांडेकर
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श्रीमती दीपा देवांगन1, डाॅ. के. एल. टांडेकर2
1शोधार्थी शास. दि. स्ना. महा. राजनांदगांव (छ.ग.)
2शोध निर्देशक शास. डाॅ. बाबा साहेब अम्बेडकर महा. डोंगरगांव, राजनांदगांव (छ.ग.)
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू
Published In:
Volume - 6,
Issue - 2,
Year - 2018
ABSTRACT:
प्रस्तुत शोधपत्र में ग्रामीण उद्योगों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया हैं। यह अध्ययन खादी ग्रामोद्योग के हथकरघा उद्योग के विशेष संदर्भ में हैं। ग्रामोद्योग क्षेत्र के औद्योगिक विकास का मूलाधार है। यही वह क्षेत्र हैं जो दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के औद्योगीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देता हैं। इस क्षेत्र के माध्यम सें उत्पादित कुल कपड़े का लगभग 19 प्रतिशत का योगदान देश और निर्यात में भी आय के लिए काफी योगदान देता हैं। हथकरघाउद्योग की अनुमति देने और नवाचारों को प्रोत्साहित करनें व अपने लचीलेंपन और बहुमुखी प्रतिभा में यह अद्वितीय हैं। हथकरघाभारत की विरासत का एक हिस्सा है। देश की समृद्वि और हमारे देश की विविधता के लिए बुनकरों की कलात्मकता एक मिसाल हैं। यह शोधपत्र ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक उन्नति लाने, खादी ग्रामोद्योग की गतिविधियों, क्रियाओं व प्रंबधन में परिवर्तन लानें व रोजगार-स्वरोजगार बढ़ानें हेतु शासकीय नीति निर्धारकों के लिए सहायक सिद्ध होगा।
Cite this article:
दीपा देवांगन, के. एल. टांडेकर. ग्रामीण उ़़द्योगों का आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका (राजनांदगाव जिले में खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत हथकरघा उद्योग के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2): 183-186 .
Cite(Electronic):
दीपा देवांगन, के. एल. टांडेकर. ग्रामीण उ़़द्योगों का आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका (राजनांदगाव जिले में खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत हथकरघा उद्योग के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2): 183-186 . Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-2-16