ABSTRACT:
वस्तु एवं सेवा कर का भारत में लंबा इतिहास कहा जा सकता है। राजनीतिक तौर पर सहमति नहीं बनने के कारण इसके कार्यान्वयन में लगभग 16 वर्ष लग गये। इस कर बदलाव को देश में अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार बताया गया है। भारत में (जी0 एस0 टी0) वस्तु एवं सेवा कर का विचार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा सन् 2000 मंे लाया गया। सरकार के दोनों सदनों में बहुमत नहीं होने की वजह से पारित नहीं हो सका। भारत के कर ढ़ाँचे में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम हैं ळैज् अर्थात ळववके ंदक ेमतअपबम ज्ंग (वस्तु एवं सेवाकर)। ळैज् लागू होने से पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो गया है। इस नवीन कर प्रणाली मंे सभी प्रकार के करो को समहित किया गया हैं। जैसें-उत्पाद शुल्क, सेवाकर, मनोरंजन कर, ट।ज् आदि। अब पूरे भारत में सिर्फ एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लागू होगा। यह नवीन कर प्रणाली बहुप्रचारित एवं बहु प्रतिक्षित वस्तु एवं सेवा कर कानून 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया है इसका सीधा सम्बन्ध अब तक लगने वाले दूसरे तरह के कर जैसे सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, प्रवेश शुल्क, मनोरंजन कर, वैट सब इसी में शामिल हो गये हैं। आजादी के बाद इसे देश का सबसे बड़ा कर सुधार कहा जा सकता है, हांलाकि व्यापक रूप से इसका क्या लाभ होगा यह तय कर पाना मुश्किल है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर व्यापारी एवं आम उपभोक्ता में असंतोष की स्थिति व्याप्त है। एक देश एक ही कर लागू हो रहा है, 3 अगस्त 2016 को देश भर में वस्तु एवं सेवा कर पारित किया गया है, वस्तु और सेवा कर जिसे सरकार ने इसे 1 जुलाई 2017 से लागू करने का निर्णय लिया है। देश के कर ढांचे के आजादी के बाद यह सबसे बड़ा बदलाव है जिससे आम आदमी को फायदा होगा या बिल राज्य सभा द्वारा पारित किया गया जिसे लोकसभा द्वारा मई 2015 में पारित किया जा चुका है। वस्तु एवं सेवा कर के अन्तर्गत जून 2016 में नेशनल वैल्यू ऐडेड टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
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महानंद द्विवेदी, मनोज जायसवाल. वस्तु एवं सेवाकर भोगी उपभोक्ताओं का समाजशास्त्रीय विश्लेषण (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):67-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00012
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महानंद द्विवेदी, मनोज जायसवाल. वस्तु एवं सेवाकर भोगी उपभोक्ताओं का समाजशास्त्रीय विश्लेषण (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):67-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00012 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-1-12
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