Author(s):
एच.एस. भाटिया, एस.एन. झा, अंकिता नामदेव
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
डाॅ एच.एस. भाटिया1, डाॅ एस.एन. झा2, अंकिता नामदेव3
1सहायक प्राध्यापक, शा. दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव
2प्राध्यापक, शा. विश्वनाथ यादव तामस्कर महाविद्यालय, दुर्ग
3शोधार्थी, शा. विश्ेेवनाथ यादव तामस्कर महाविद्यालय, दुर्ग
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 7,
Issue - 2,
Year - 2019
ABSTRACT:
प्रत्येक संस्था को अपने आर्थिक क्रियाओं के संचालन व विस्तार के लिये वित्त की आवश्यकता होती है। स्थानीय संस्थाओं को भी अपने सभी कार्यों के निर्वहन व संचालन हेतु वित्त/धन की आवश्यकता पड़ती है। ये वित्त ही राजस्व/लोक वित्त कहलाते हैं। राजस्व के द्वारा ही स्थानीय संस्थायें अपने कार्यों का निर्वहन कर पाती है। स्थानीय निकाय अपने राजस्व की प्राप्ति करों से अकरगत स्त्रोतों से व राज्य सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान से करती है। निगम प्रशासन अगर अपने करगत व अकरगत राजस्व की वसूली अधिक से अधिक करने लगे तो वह अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधा आसानी से उपलब्ध करा सकेगा। इस शोध अध्ययन में नगर पालिक निगम, दुर्ग के राजस्व वसूली के अध्ययन हेतु प्राथमिक व द्वितीयक समंकों का संकलन किया गया है। शोध अध्ययन का मुख्य उद्देश्य निकाय की राजस्व वसूली को जानना है। अध्ययन में यह पाया गया कि, निकाय की राजस्व वसूली शत् प्रतिशत तो नहीं परन्तु संतोषप्रद कही जा सकती है। किसी वर्ष वसूली अच्छी है तो किसी वर्ष वसूली का आकड़ा बहुत ही कम है। नगर पालिक निगम, दुर्ग अगर सम्पत्तिकर सहित सम्पूर्ण राजस्व वसूली पर ध्यान दे तो निगम अपने राजस्व वसूली के द्वारा ही आत्म निर्भर बन अपने नगर का उत्तरोत्तर विकास कर सकेगा।
Cite this article:
एच.एस. भाटिया, एस.एन. झा, अंकिता नामदेव. नगर पालिक निगम, दुर्ग के राजस्व वसूली का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):531-536.
Cite(Electronic):
एच.एस. भाटिया, एस.एन. झा, अंकिता नामदेव. नगर पालिक निगम, दुर्ग के राजस्व वसूली का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):531-536. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-42