Author(s): बीण् एन मेश्राम

Email(s): college.bsba@gmail.com

DOI: Not Available

Address: डाॅ श्रीमति बी एन मेश्राम
प्राचार्यद्ध प्राध्यापकए राजनीति शास्त्रए शासकीय डाॅण् बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोंगरगांवए जिला . राजनांदगांव
छण्गण्द्ध
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 6,      Issue - 4,     Year - 2018


ABSTRACT:
नारी समाज की महत्वपूर्ण अंग है। वह परिवार की जीवनदायिनी संजीवनी शक्ति है। समाजीकरण की प्रक्रिया नारी पर पूर्ण रूप से अवलम्बित है। संतति के जन्म पोषण संरक्षण और चरित्र निर्मात्री के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर नारी समाज और राष्ट्र के निर्माण और विकास का पथ प्रशस्थ करती है। नारी के उपेक्षित होने से समाज के विकास की प्रक्रिया अवरूद्व हो जाती है। महिलायें परिवार की नींव होती हैए वह परिवार को चलाने व परिवार की उन्नति में सहायक होती है। जिस परिवार में महिला का सहयोग नहीं होताए वह परिवार बिखरी हुई स्थिति में रहता है।भारतीय समाज में महिला जागरण और उन्नति के समर्थकों की कमी नहीं। वर्ष 2001 को महिला वर्ष तथा 2003 को महिला सषाक्तिकरण वर्ष के रूप में मनाकर देष में महिला वर्ग को जिस प्रकार लुभाने की कोषिष की हैए उसे देखकर आश्चर्य होता है कि आज 21 वीं सदी तक भारतीय महिलाओं को समाज में उनका स्थान नहीं मिल सका जिसकी वास्तव में हकदार है।


Cite this article:
बीण् एन मेश्राम. छत्तीसगढ़ की कामकाजी महिलायें व मानव अधिकार. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):554-556.

Cite(Electronic):
बीण् एन मेश्राम. छत्तीसगढ़ की कामकाजी महिलायें व मानव अधिकार. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):554-556.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-31


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