Author(s): उमा गोले

Email(s): umagole@rediffmail.com

DOI: Not Available

Address: डाॅ. (श्रीमती) उमा गोले
प्रोफेसर, भूगोल अध्ययन षाला, पं. रविषंकर षुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 7,      Issue - 2,     Year - 2019


ABSTRACT:
प्राकृतिक संसाधन के रूप में जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिसकी उपलब्धता, न्यूनता, अनुपलब्धता एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों को भी प्रभावित करती है। ‘‘जल ही जीवन है’’ जैसे सूत्रवाक्य जल की इसी महत्ता को प्रकट करते हैं। बेसिन एक कृषि प्रधान क्षेत्र है। जहां मानसूनी वर्षा द्वारा कृषि की जाती है। वर्षा की अनियमितता एवं अनिष्चतता के कारण बेसिन में कृषि कार्य करना एक जोखिमपूर्ण कार्य है, क्योंकि ऐसे क्षेत्र में सिंचाई द्वारा ही कृषि उत्पादित की जाती है। फलस्वरूप कृषकों की आर्थिक स्थिति भी सोचनीय है। उल्लेखनीय है कि बेसिन में विभिन्न परियोजनाओं द्वारा 53.93 प्रतिषत भाग सिंचित है । विष्लेषण द्वारा बेसिन में सर्वाधिक सिंचाई गहनता सूचकांक पाटन तहसील एवं सबसे कम डौंडी तहसील में पाया गया जबकि बेसिन में औसत सिंचाई गहनता सूचकांक 45.10ः है। अस्तु बेसिन में कृषकों की वर्षा पर निर्भरता कम करके विभिन्न अन्य प्रस्तावित परियोजनाओं को संचालित कर सिंचित क्षेत्र का विस्तार करना महत्वपूर्ण साबित होगा जिस पर सिचाई गहनता निर्भर है।


Cite this article:
उमा गोले. पूर्वी षिवनाथ बेसिन में संचालित विभिन्न सिंचाई परियोजनाएं एवं सिंचाई गहनता प्रतिरूप. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 463-468.

Cite(Electronic):
उमा गोले. पूर्वी षिवनाथ बेसिन में संचालित विभिन्न सिंचाई परियोजनाएं एवं सिंचाई गहनता प्रतिरूप. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 463-468.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-31


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