ABSTRACT:
प्रस्तुत अध्ययन भारत मे संपोषित पर्यटन विकास एवं पर्यावरण का अध्ययन है इसमें भारत के विभिन्न पर्यटन स्थलों के विकास एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है वातावरण में विभिन्न प्रदूषक तत्वों के द्वारा पर्यटन स्थलों को प्रभावित किया जा रहा है जिसका पर्यटन स्थल पर भ्रमण में वृद्वि के साथ ही साथ होने वाली वाहनों में वृद्धि ध्वनि प्रदूषण का प्रमुख कारण है, जिससे प्राकृतिक वनस्पति, पेड़-पौधों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण से कुप्रभावित होकर ताज के सफेद पत्थरों पर पीलापन देखा गया है। पृथ्वी की सतह के लगभग 27ः भाग में पर्वतीय क्षेत्र विस्तारित है। ये पहाड़ों एवं अनुप्रवाह क्षेत्र में रह रहे करोड़ों लोगों के जीवन-यापन का आधार हैं। पहाड़ी समुदायों एवं अनुप्रवाह क्षेत्र में रह रही आबादी के लिये संभावित रूप से दूरगामी एवं विनाशकारी परिणामों के साथ पहाड़ों को जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, अत्यधिक दोहन तथा प्राकृतिक आपदाओं से खतरा है। इसके संदर्भ में मुख्य चुनौती नए एवं स्थायी अवसरों की पहचान करना है जो उच्चभूमि एवं तराई में रहने वाले दोनों तरह के समुदायों को लाभान्वित करते हैं तथा पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण के बिना गरीबी उन्मूलन में मदद करते हैं।
Cite this article:
कुबेर सिंह गुरुपंच. भारत मे संपोषित पर्यटन विकास एवं पर्यावरण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):104-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00017
Cite(Electronic):
कुबेर सिंह गुरुपंच. भारत मे संपोषित पर्यटन विकास एवं पर्यावरण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):104-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00017 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-2-4
सन्दर्भ सूची:-
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