ABSTRACT:
भारत के 26 वे राज्य के रूप में 1 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया हमारा राज्य छत्तीसगढ प्राचीन काल में इस क्षेत्र को दक्षिण कौषल के नाम से जाना जाता था। छत्तीसगढ़ पूर्व में झारखण्ड और उडीसा, पश्चिम में मध्यप्रदेष और महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेष, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्यों से घिरा है। क्षेत्रफल के हिसाब से छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेष का नौवा बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से इसका स्थान 17वां है। यहाँ की धरती कोयला, कच्चा लोहा, चूना पत्थर, बाक्साइट, डोलोमाइट तथा टिन के विषाल भंडारो से भरी है। आज पर्यटन विकास की दृष्टि से जितने भी दर्षनीय एवं पर्यटन स्थल है, उनके अधोसंरचना से राज्य खुषहाल हो रहा है। इस राज्य की सुन्दर एवं मनोरम भूमि पर एक ओर जहाँ मैकल सिहावा और रामगिरी जैसी पर्वत मालाएँ है, वहीं दूसरी ओर महानदी, षिवनाथ नदी, इन्द्रावती, सोनपैरी हसदेव सबरी और खारून जैसे नदियो का पानी बहता है। छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदा से भरपुर है, घने पेडो से अच्छादित वन सम्पदा और उपजाऊ भूमि की बहुतायत है। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत है, जिसका उल्लेख महाभारत और रामायण जैसे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। आदिवासी जातियों की बहुतायत होने से छत्तीसगढ़ की अपनी अलग रंगीन सांस्कृतिक धरोहर है। इस राज्य में छोटी बडी कुल 35 आदिवासी जातियों है। इन जातियों के थिरकते लोकनृत्य मदमाता संगीत और आकर्षक लोकनाटक पर्यटकों का मन मोह लेते है। चरवाहों का लोकनृत्य राउत नाचा, पंथी, सूआ, छेरछेरा आदि अन्य दर्षनीय लोक नृत्य है। अदिवासियों के मंत्र मुग्ध कर देने वाले लोकनृत्यो, गहरी गुफाओ, विषाल किलो और आष्चर्य चकित कर देने वाला प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों के मन पर गहरी छाप डालता है।
Cite this article:
कुबेर सिंह गुरूपंच. छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास एवं भौगोलिक महत्व. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(1):16-2.
Cite(Electronic):
कुबेर सिंह गुरूपंच. छत्तीसगढ़ में पर्यटन विकास एवं भौगोलिक महत्व. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(1):16-2. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-1-3