Author(s):
अनुसुइया बघेल, टिके सिंह
Email(s):
anusuiya_baghel@yahoo.com , drtikesingh@gmail.com
DOI:
Not Available
Address:
डाॅ. अनुसुइया बघेल1, डाॅ. टिके सिंह2
1प्राध्यापक, भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर.
2सहायक प्राध्यापक, भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर.
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 9,
Issue - 1,
Year - 2021
ABSTRACT:
वाणिज्यीकरण की मात्रा कृषि विकास का एक अति विशिष्टि महत्वपूर्ण सूचक है। प्रस्तुत अध्ययन के उद्देश्य छत्तीसगढ़ में वाणिज्यीकरण की मात्रा ज्ञात करना तथा उसको प्रभावित करने वाले भौतिक, सामाजिक तथा आर्थिक कारकों की व्याख्या है। प्रस्तुत अध्ययन कृषि सांख्यिकीय 2015-16 पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में वाणिज्यीकरण की मात्रा अति न्यून है। प्रदेश के पश्चिमी भाग में जो कि काली मिट्टी का क्षेत्र है, अखाद्य फसलों की अधिकता होने से वाणिज्यिक की मात्रा अधिक है। इसके विपरीत प्रदेश के दक्षिण भाग में बस्तर के पठार में वाणिज्यीकरण की मात्रा अति न्यून है, जबकि सरगुजा उत्तरी भाग में यह उच्च स्तर पर है। बस्तर के पठारी भाग में जनसंख्या यद्यपि कम है। फिर भी वाणिज्यीकरण की मात्रा कम है, क्योंकि विषम धरातल के कारण प्रति इकाई उत्पादकता कम है। निराफसली क्षेत्र एवं सिंचाई साधनों की कमी से खाद्य फसलों का उत्पादन कम होता है।
Cite this article:
अनुसुइया बघेल, टिके सिंह. छत्तीसगढ़ में वाणिज्यीकरण का मात्रा (Degree of Commercialization in Chhattisgarh). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2021; 9(1):48-56.
Cite(Electronic):
अनुसुइया बघेल, टिके सिंह. छत्तीसगढ़ में वाणिज्यीकरण का मात्रा (Degree of Commercialization in Chhattisgarh). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2021; 9(1):48-56. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2021-9-1-9
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