Author(s):
बृजेन्द्र पांडेय, तिजेष्वर प्रसाद टण्डन
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
डाॅ. बृजेन्द्र पांडेय1, तिजेष्वर प्रसाद टण्डन2
1सहा. प्राध्यापक, मानव संसाधन विकास केन्द्र, रविशंकर शुक्ल वि.वि., रायपुर (छ.ग.)
2शोधार्थी, साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू इतपरचंदकमल09/हउंपसण्बवउ
Published In:
Volume - 6,
Issue - 2,
Year - 2018
ABSTRACT:
इदन्नमम’ उपन्यास की प्रमुख पात्र एक ऐसी नारी है, जो अपने युगबोध को वाणी देती हैं। अपने समय की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों को परिभाषित कर रही हैं। न तो वह किसी पुरुष द्वारा निर्देषित राह पर चल रही हैं और न ही किसी पुरुष के सहारे चल रही हैं। नारी-जीवन के छोटे-छोटे संघर्षों की परिधि से ऊपर उठाकर यहाँ नारी को एक बड़े संघर्ष से रू-ब-रू किया गया है, जो स्वतंत्र होता है। नारी-लेखन की दिषा में मंदा एक उपलब्धि है और इस प्रकार का लेखन नारी-चेतना को सषक्त बनाने के लिए सार्थक संकेत है। एक सामान्य सी अल्पसाक्षर युवती भी यदि चाहे तो जन-जागृति और सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक परिवर्तन ला सकती है, इसी दास्तान को मैत्रेयी पुष्पा ने शब्दबद्ध किया है।
Cite this article:
बृजेन्द्र पांडेय, तिजेष्वर प्रसाद टण्डन. मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास ‘इदन्नमम’ में नारी-जागृति का स्वर. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2):118-122.
Cite(Electronic):
बृजेन्द्र पांडेय, तिजेष्वर प्रसाद टण्डन. मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास ‘इदन्नमम’ में नारी-जागृति का स्वर. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2):118-122. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-2-5