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एल. एस. गजपाल, राम नरेष टण्डन
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डाॅ. एल. एस. गजपाल1, राम नरेष टण्डन2
1एसोसिएट प्राध्यापक, समाजषास्त्र अध्ययनषाला, पं. रविषंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
2सहायक प्राध्यापक (समाजषस्त्र), शा. महाविद्यालय, नंदिनी अहिवारा
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 3,
Year - 2017
ABSTRACT:
प्रस्तुत शोध अध्ययन भारत में बांग्लादेषी शरणार्थियों का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन है, जो कि छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर तथा कांकेर जिले पर आधारित है। अध्ययन मुख्य रूप से इस बिन्दु पर केन्द्रित रहा है कि बांग्लादेष में हुए साम्प्रदायिक दंगे और 1971 में बांग्लादेष के विभाजन के समय जिन शरणार्थीयों को भारत सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में शरणार्थी शिविरों में बसाया गया उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति किस प्रकार की है? ये शरणार्थी देश तथा राज्य की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था, स्थानीय समुदाय व जनजाति संस्कृति की दृष्टि से किसी भी प्रकार से समस्यामूलक हो नहीं है? इन्हीं तथ्यों का परीक्षण शोध अध्ययन के माध्यम से किया गया है। शोध को व्यवस्थित रूप देने के लिए बांग्लादेषी शरणार्थियों की दो श्रेणी का अध्ययन किया गया है, जिसमें प्रथम श्रेणी के शरणार्थी जो आज भी शरणार्थी षिविर में रह रहे हैं। इसमें रायपुर जिले के माना केम्प के शरणार्थी शमिल हैं। जबकि दूसरे श्रेणी के शरणार्थियों में गैर श्वििरार्थी षरणार्थी जो कि कांकेर जिले के पखांजूर में निवासरत हैं उन्हें लिया गया है। अध्ययन हेतु माना केम्प से 40 तथा पखांजूर से 157 बांग्लादेषी शरणार्थियों का चुनाव उद्देष्य पूर्ण निर्देषन के द्वारा किया गया है। तथ्यों का संकलन साक्षात्कार अनुसूची के माध्यम से किया गया है, साथ ही अवलोकन प्रविधि का भी यथासंभव प्रयोग तथ्यों के संकलन में किया गया है।
Cite this article:
एल. एस. गजपाल, राम नरेष टण्डन. बांग्लादेषी शरणार्थियों का स्थानीय समुदाय से सामंजस्य की स्थिति का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(3): 161-170 .