ABSTRACT:
राज्यों की व्यवस्थापिका को विधानमण्डल कहते हैं, जो दो सदनों से मिलकर बनता है विधानसभा तथा विधान परिषद, विधानसभा निम्न तथा लोकप्रिय सदन होता है, जिसके सदस्य सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित होते है। दूसरा सदन जो विधान परिषद कहलाता है वह विभिन्न निर्वाचक मण्डल द्वारा चुना जाता है तथा कुछ सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनित किया जाता है परंतु छŸाीसगढ़ में विधान परिषद नहीं है, देश में केवल उŸान प्रदेश, बिहार, महाराष्ट, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना एवं जम्मू कश्मीर राज्यों में दो सदन है। शेष राज्य एक सदनीय है। विधान सभा से प्रदेश की जनता का संबंध कुछ अथों में प्रत्यक्ष होता है वह उसे जानता है तथा लोककल्याणकारी कार्यों हेतु उससे अपेक्षा रखता है। राज्यों की विधानसभा की संख्या संविधान द्वारा अधिकतम 500 तथा न्यूनतम 60 निश्चित की गयी है, परंतु सिक्किम, मिजोरम, गोवा, अरूणाचल प्रदेश को भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टता के कारण विशेष छूट दी गई है व इन राज्यों की विधानसभा की संख्या 60 से भी कम है। छŸाीसगढ़ राज्य में विधान सभा सदस्यों की संख्या 90 है। देश के विधानसभाओं में अधिकतम संख्या उŸार प्रदेश का 403 है व न्यूनतम सदस्य संख्या पांडिचेरी 40 (केन्द्र शासित संघीय क्षेत्र) है।
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सुभाष चन्द्राकर, तुलेष्वरी धुरंधर. छतीसगढ़ के प्रथम विधानसभा में विधायकों की भूमिका. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):44-48.
Cite(Electronic):
सुभाष चन्द्राकर, तुलेष्वरी धुरंधर. छतीसगढ़ के प्रथम विधानसभा में विधायकों की भूमिका. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):44-48. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-1-8