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ज्योति पांडेय, अन्नपूर्णा देवांगन
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डा (श्रीमती) ज्योति पांडेय1, श्रीमती अन्नपूर्णा देवांगन2
1शोध-निर्देशक, उप संचालक, उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय, अटल नगर, रायपुर (छ ग
2शोधार्थी, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ ग
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 7,
Issue - 2,
Year - 2019
ABSTRACT:
छŸाीसगढ़ का गरियाबंद जिला अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही सांस्कृतिक तथा साहित्यिक अवदानों के लिए प्रसिद्ध रहा है। आदिकाल से संपूर्ण छŸाीसगढ़ की सभ्यता तथा संस्कृति की परिचायक तथा केंद्र-बिंदु रही। राजिम के आस-पास की भूमि भी पूर्वजों की इस विरासत को तभी से संरक्षित तथा सवंर्धित करती आ रही है। इस महानदी क्षेत्र में न सिर्फ बहुमूल्य रत्नों का भंडार अवस्थित है वरन् अनेक ऐतिहासिक तथा पुरा-वैभव की गाथा आज भी दफन है। पद्म क्षेत्र राजिम का जितना धार्मिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व है, उतनी ही साहित्यिक प्रतिष्ठा भी है। पतीत-पावनी चित्रोत्पला महानदी ने जहाँ इस क्षेत्र की धरा को उर्वरा-शक्ति प्रदान कर धन-संपदा से समृद्ध किया, वहीं इस प्रक्षेत्र में जन्म लिए साहित्यिक मनीषियों के अवदानों की साक्षी भी रही। भक्तिकाल में महाप्रभु वल्लभाचार्य ने जिस भक्ति-धारा को प्रवाहित किया, उसमें न केवल छŸाीसगढ़ अपितु संपूर्ण भारत गोते लगाने लगा। अठारहवीं शताब्दी के उŸारार्द्ध में गरियाबंद अंचल में पं. विश्वनाथ दुबे, सूर्योदय सिंह, क्षेमू प्रसाद वर्मा, गजाधर प्रसाद पौराणिक, प्यारेलाल दीक्षित जैसे साहित्य-सर्जकों ने राजिम क्षेत्र को साहित्यिक ऊँचाइयों की ओर अग्रसर किया।
Cite this article:
ज्योति पांडेय, अन्नपूर्णा देवांगन. गरियाबंद अंचल की साहित्यिक कृतियों में व्यक्त देश एवं राष्ट्रीय भावना . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):447-452.
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ज्योति पांडेय, अन्नपूर्णा देवांगन. गरियाबंद अंचल की साहित्यिक कृतियों में व्यक्त देश एवं राष्ट्रीय भावना . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):447-452. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-28