ABSTRACT:
कल्याणकारी, निष्पक्ष, प्रजातंत्रात्मक राज्य की संकल्पना वर्तमान परिपे्रक्ष्य व्याख्यात्मक पद्धति मानव की लापरवाही के लिए कानून के महत्व को प्रतिपादित करना।नक्सली हिंसा रूपी काली माँ धीरे-धीरे छ.ग. ही नहीं बल्कि समूचे भारत को अपनी काली छाया में ढकली जा रही है। यदि पुलिस तथा जन सामान्य इसमें कलाकार की भूमिका निभाएं तो नक्सलवाद रूपी खलनायक पर विजस प्राप्त की जा सकती है।
प्रस्तुत शोध में मुख्य रूप से छ.ग. राज्य में सबसे पिछड़े जिले बस्तर में पनपते नक्सलवाद के कारणों का विश्लेषण करना व ग्रामीण निर्धनता एवं नक्सलवाद के सह संबंधों को ज्ञात करना तथा निर्धनता उन्मूलन के सरकारी प्रयासों का आंकलन करते हुए नक्सलवाद की समस्या के निराकरण की संभावनाओं की तलाश करना है। शैक्षणिक रूप से काफी पिछड़े है। इनके परम्परागत व्यवस्था व जीविकोपार्जन का साधन वनों पर आधारित है, जिसे छिन लिए गये है।
Cite this article:
K.P. Kurrey, Vrinda. Sengupta. छत्तीसगढ़ के विकास में नक्सलवाद बाधक . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(1):56-58.
Cite(Electronic):
K.P. Kurrey, Vrinda. Sengupta. छत्तीसगढ़ के विकास में नक्सलवाद बाधक . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(1):56-58. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2020-8-1-12
संदर्भ सूची
1. स्वयं के विचार ।
2. इन्टरनेट संचार माध्यम।
3. सिंह, डाॅ. निशांत, भारत में अपराध एक विश्लेषण, पब्लिकेशन्स दिल्ली