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हरीश कुमार देवे, ऋचा यादव
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हरीश कुमार देवे1, डाॅ. ऋचा यादव2
1शोधार्थी-एम. फिल समाजकार्य, डाॅ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय, करगी रोड कोटा, बिलासपुर.
2सहप्राध्यापक-समाजकार्य, डाॅ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय, करगी रोड कोटा, बिलासपुर.
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 8,
Issue - 3,
Year - 2020
ABSTRACT:
समाज में महिलाओ की स्थिति जितनी सशक्त, प्रभावशाली और सुद्रढ़ होती है, समाज उतना अधिक उन्नत सभ्य और प्रगितिशील होता है। अनेक एतिहासिक एवं सामाजिक- सांस्कृतिक कारणों से भारतीय समाज में महिलाओ विशेषकर ग्रामीण महिलाओ की स्थिति कमजोर बनी हुई है तथा शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य एवं आर्थिक भागीदारी के क्षेत्र में भी उनकी स्थिति पुरुषो की तुलना में निम्नतर बनी हुई है। इस देश की कुल आबादी का लगभग आधा भाग होने के बावजूद महिला तुलनात्मक रूप से वंचित होने की समस्या से घिरी हुई है ग्रामीण महिला न केवल गरीबी बल्कि बहुविध सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक समस्याओं की शिकार हैै। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी अस्पताल के प्रति लोगो में अरूचि है। क्योंकि लोगो का यह मानना है कि सरकारी अस्पताल में ठीक से इलाज नही होता है। और न ही सरकारी डाॅक्टर ठीक से इलाज करना चाहते है। इसलिए लोग सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में अपना इलाज कराना सही समझते है। लेकिन निजी अस्पताल में इलाज का खर्चा बहुत ज्यादा रहता हैं, जिससे गरीब परिवार न तो सरकारी अस्पताल में अपना इलाज करवा पाते है और न ही निजी अस्पताल मे, इसलिए उन्हे छोटी सी बीमारी के कारण अपनी जान गवानी पडती है।
Cite this article:
हरीश कुमार देवे, ऋचा यादव. ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में मितानिन की भूमिका का अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(3):197-208.
Cite(Electronic):
हरीश कुमार देवे, ऋचा यादव. ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में मितानिन की भूमिका का अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(3):197-208. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2020-8-3-8
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