ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में हाना का विशेष स्थान है | ‘हाना’ जिसे लोकोक्ति भी कहा जाता है यह लोक के दीर्घकालिक चिंतन, अनुभव और ज्ञान का परिणाम है | हाना विशेष परिस्थिति में उपजे वाक्य होते हैं जो अत्यंत प्रभावी होते हैं | सहज सरल होने के साथ ही गंभीर से गंभीर बात को कम शब्दों में व्यक्त करने की इसमें क्षमता होती है | हाना लोक का मार्गदर्शन करती है इसमें लोक व्यवहार, धर्म, दर्शन, शिक्षा सभी का समावेश होता है | छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में जिसे अक्षर ज्ञान भी नहीं है वे सभी अपनी बात को और अधिक प्रभावी, तर्कसंगत और प्रामाणिक बनाने के लिए हाना का प्रयोग करते हैं |
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यशवंत कुमार साव. छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में हाना का महत्व. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(3):171-4. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00028
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यशवंत कुमार साव. छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में हाना का महत्व. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(3):171-4. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00028 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-3-6
संदर्भ सूची-
1. उपाध्याय डॉ. कृष्णदेव : लोक साहित्य की भूमिका साहित्य भवन, इलाहाबाद -1957 ; पृ.-137
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4. वही भूमिका
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