Author(s):
रवि प्रकाश पाण्डेय, रामजी बंशकार
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
10.52711/2454-2687.2024.00011
Address:
रवि प्रकाश पाण्डेय1, रामजी बंशकार2
1सहा. प्राध्यापक (वाणिज्य), शारदा महाविद्यालय, सरला नगर, मैहर जिला सतना (म.प्र.)
2शोधार्थी (वाणिज्य), शास विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मैहर, जिला सतना (म.प्र.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 12,
Issue - 1,
Year - 2024
ABSTRACT:
स्व-सहायता समूह ग्रामीण गरीबांे की आर्थिक उन्नति का सशक्त मंच बनकर उभर रहे हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस योजना से गरीब भारत की तस्वीर बदलने लगी है। इसमें कोई शक नहीं है कि स्व-सहायता समूह का निर्माण भारत सरकार का एक क्रांतिकारी कदम है, जिसके माध्यम से न सिर्फ लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सके, बल्कि एकजुट होकर सामाजिक कुरीतियां, नारी उत्पीड़न और लोगों के मन से बड़े-छोटे के भेदभाव को भी मिटा सके। वहां ये समूह ग्रामीण गरीबों की आर्थिक उन्नति का सशक्त मंच बनकर उभर रहे हैं। भारत में स्व-सहायता समूहों का विकास तो तेजी से हो रहा है, परंतु इन समूहों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रशिक्षण का अभाव, और भी कई कठिनाईयाँ और चुनौतियाँ है जिन पर ध्यान देकर स्व-सहायता समूह व्यवस्था को 9 अधिक कारगर व लाभप्रद बनाया जा सकता है। इनमें एक पहलु लघु ऋण देने वाले बैंक की भूमिका से जुड़ा है। वाणिज्यिक बैंक की ऋण नीतियाँ स्व-सहायता समूहांे की संरचना व उद्देश्यों से मेल नहीं खाती। बैंक को स्व-सहायता समूह की अवधारणा समझने में ही लंबा समय लग जाता है और जब समझ जाते हैं तब भी पर्याप्त ऋण उपलब्ध नहीं करा पाते। स्व-सहायता समूहांे का विकास व अन्य समुचित एजेंसियों से जुड़ाव नहीं हो पाया है। समूह एक अलग इकाई के रुप में काम करते हैं। जिससे कोई बड़ी या महत्वपूर्ण गतिविधि को हाथ में नहीं ले पाते, इसका परिणाम यह होता है कि उनमें उत्साह नहीं रहता और वे निष्क्रिय होने लगते हैं। यदि इन समूह को सरकारी परियोजनाओं या पंचायत के कार्यों से जोड़ दिया जाता है तो इनकी उपयोगिता निश्चित रूप से बाव भी दे सकते हैं। आवश्यकता इस बात कि है की स्व-सहायता समूहों को सरकार पर्याप्त मात्रा में समय-समय पर धन उपलब्ध कराती रहे।
Cite this article:
रवि प्रकाश पाण्डेय, रामजी बंशकार. भारतीय ग्रामीण विकास में स्व-सहायता समूह का योगदान-एक आर्थिक अध्ययन (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):57-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00011
Cite(Electronic):
रवि प्रकाश पाण्डेय, रामजी बंशकार. भारतीय ग्रामीण विकास में स्व-सहायता समूह का योगदान-एक आर्थिक अध्ययन (रीवा जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(1):57-6. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00011 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-1-11
संदर्भ ग्रन्थ सूची
1. राय, पारसनाथ (1973) अनुसंधान परिचय, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल आगरा।
2. शुक्ला एस0एम0, सहाय एस0पी0(2005) सांख्यिकी के सिद्धान्त साहित्य भवन पब्लिकेशन हास्पिटल रोड़ आगरा।
3. पाण्डे तेजस्कर, पाण्डेय ओजस्कर (2009) समाज कार्य भारत बुक सेंटर 17, अशोक मार्ग, लखनऊ।
4. गुप्ता एम.एल, शर्मा डी.डी. (1998) समाजशास्त्र साहित्य भवन पब्लिकेशन आगरा,
5. डॉ. रवीन्द्र पस्तौर: क्रियान्वयन मार्गदर्शिका, द्वितीय चरण, 2009
6. अजीत कुमार (परियोजना समन्वयक): स्व सहायता समूह प्रशिक्षण मार्गदर्शिका
7. डॉ0 मिश्रा, नन्द लाल, विकास की चुनौतियाँ
8. डॉ0 अग्रवाल, गोपाल कृष्ण, सामाजिक समस्याए