ABSTRACT:
कर्म-सिद्धान्त, जहाँ तक वर्तमान जीवन का सम्बन्ध है, भाग्यवाद को प्रश्रय देता है, क्योंकि वर्तमान जीवन अतीत जीवन के कर्मों का फल है। परन्तु जहाँ तक भविष्य जीवन का सम्बन्ध है यह मनुष्य को वर्तमान शुभ कर्मों के आधार पर भविष्य जीवन का निर्माण करने का अधिकार प्रदान करता है। इस प्रकार कर्म-सिद्धान्त भाग्यवाद का खंडन करता है।
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शिवलाल धाकड. भारतीय दर्शन में कर्म की अवधारणा भौगोलिक संदर्भ में. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):125-0. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00021
Cite(Electronic):
शिवलाल धाकड. भारतीय दर्शन में कर्म की अवधारणा भौगोलिक संदर्भ में. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2024; 12(2):125-0. doi: 10.52711/2454-2687.2024.00021 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2024-12-2-8
संदर्भ ग्रंथ सूची:-
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3- अमर कोष
4- अर्ली बुद्धिज्म एण्ड भगवद्गीता - डॉ. के. एन. उपाध्याय
5- अशवक्र
6- एन आइडियलिस्टिक व्यू आफ, लाइफ - डॉ. राधाकृष्णन्
7- भारतीय दर्शन प्रथम खण्ड - डॉ. राधाकृष्णन्
8- भारतीय दर्शन - डॉ. नन्द किशोर देवराज
9- भारतीय दर्शन की रूपरेखा-प्रो, हरेन्द्र प्रसाद सिन्हा
10- भारतीय दर्शन सम्प्रदाय और समस्याएं - डा. सुरेन्द्र वर्मा
11- भारतीय दशरन आलोचन व अनुशील - डा. चन्द्रधर शर्मा
12- भारतीय नीतिशास्त्र - डा. दिवाकर पाठक
13- भगवद्गीता - महात्मा गाँधी
14- भगवदगीता - ए. जे. बाम
15- भारतीय दर्शन की रूपरेखा - एम. हिरियन्ना
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