Author(s): लक्ष्मी सोनेकर, नाजिया आबिद खान

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Address: लक्ष्मी सोनेकर1, डाँ. नाजिया आबिद खान2
1सहायक प्राध्यापक, विवेकानंद इस्ंिटट्यूट आॅफ एजूकेशन, कोटा, रायपुर (छ.ग.)
2सहा. प्राध्यापक, शिक्षा अध्ययन शाला, मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

Published In:   Volume - 2,      Issue - 1,     Year - 2014


ABSTRACT:
किसी भी राष्ट्र समाज की समृद्धि एवं वैभव संपन्नता का मूलभूत आधार शिक्षा का सर्वांगीण विकास है, जो बालकों में राष्ट्रीय चरित्र एवं आदतों का निर्माण करता है। जितनी अच्छी आदतें किसी राष्ट्र, समाज, व्यक्ति व बालक में पाया जाता है वह राष्ट्र-समाज उतना ही अधिक चरित्रवान माना जाता है। बालकों की क्रियाशीलता को उनकी अभिवृत्तियाँ प्रभावित करती हंै। अभिवृत्तियों को सामान्यीकृत आदतें अथवा विचार अन्य आदतें भी कहा जाता है, जो बालक के व्यवहार एवं चिंतन पर नियंत्रण रखती है। अतः बालकों की आदतें व अभिवृत्तियाँ संयुक्त रूप से अनेक चरित्र निर्माण में योगदान देती है।


Cite this article:
लक्ष्मी सोनेकर, नाजिया आबिद खान. जनजाति छात्र-छात्राओं के व्यावसायिक अभिवृत्ति का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 43-47.

Cite(Electronic):
लक्ष्मी सोनेकर, नाजिया आबिद खान. जनजाति छात्र-छात्राओं के व्यावसायिक अभिवृत्ति का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 43-47.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-12


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