ABSTRACT:
बीड़ी उद्योग क्योंकि एक कुटीर उद्योग है इस कारण इस उद्योग में महिलाओ का योगदान अधिक होता है। तथा वह घर पर ही कच्चा माल लाकर बीड़ी निर्माण कार्य करती है। महिला श्रमिको की स्थिति काफी शोचनीय है क्योंकि महिलाओं का विकास नही हो पाता तथा वह घर पर ही घरेलू कार्य करके इस कार्य को करने लगती है। तथा वह की दुनिया से अनभिज्ञ रहती है। इसी कारण वह आज भी पिछड़े लोगो में गिने जाते है। और ज्यादातर महिलाए अशिक्षित होती है। इसके साथ अशिक्षित महिलाए कम मजदूरी पर भी कार्य करती है क्योंकि उन्हे इस बात का ज्ञान नही होता है कि सरकार से मजदूरी कितनी निर्धारित कि है। और ठेकेदार इस बात का नाजायज फायद उठाता है। तथा कम मजदूरी में अधिक बीड़ी निर्माण करवाता है। छटनी में कई बीड़िया निकाल देता है। ठेकेदार 1000 बीड़ी में 100 बीड़ी छटनी करते समय निकाल देता है। इसका मूल्य 5 रूपये काटता है। इसके अलावा तेंदू पत्ती कम देना, तम्बाकू कम देना इत्यादि तरीके से ठेकेदार महिलाओ का शोषण करते है। तथा अनपढ़ या कम पढ़े लिखी होने के कारण उन्हे अपने अधिकारो एवं सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी के बारे में नही जानकारी होती है।
Cite this article:
वेद प्रकाश तिवारी. महिला बीड़ी श्रमिकों पर वैश्वीकरण का प्रभाव -एक अध्ययन (रीवा नगर के संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 599-605.
Cite(Electronic):
वेद प्रकाश तिवारी. महिला बीड़ी श्रमिकों पर वैश्वीकरण का प्रभाव -एक अध्ययन (रीवा नगर के संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 599-605. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-54