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सेतकुमार मल्होत्रा, अशोक कुमार
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सेतकुमार मल्होत्रा, अशोक कुमार
ग्रंथपाल, रामचण्डी महाविद्यालय सरायपाली, जिला - महासमुन्द (छ.ग.).
ग्रंथपाल, प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजूकेषन, जिला - महासमुन्द (छ.ग.).
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 10,
Issue - 2,
Year - 2022
ABSTRACT:
समाज तथा गं्रथालयों का गहन सम्बन्ध है। समाज ऐसे लोगों का एक समूह होता है जो किसी विषेष प्रयोजन अथवा कार्य के लिए परस्पर मेल जोल रखते हैं और कुछ नियमों तथा परम्पराओं में भागीदार होते हैं। समाज का शाब्दिक अर्थ है; समुदाय या जनता या सामान्य लोग जो एक क्षेत्र में अथवा एक काल में इकट्ठे रहते हैं। ग्रंथालय लोगों से सम्बध्द होने के नाते सामाजिक संस्थाएँ है। गं्रथालयों का अस्तित्व ही समाज के लिए होता है। मानव सभ्यता पर दृष्टिपात करने से पता चलता है कि ग्रंथालय सभ्य समाज का एक अभिन्न अंग रहे हैं। समाज सेवा ही ग्रंथालयों का उद्देष्य है। ग्रंथालयों के प्रकार, विषेषतायें, प्रयोजन, कार्य तथा सेवाएँ सभी समाज की आवष्यकताओं के अनुसार निर्धारित होते हैं। ग्रंथालयों ने समाज के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक तथा सांस्कृतिक विकास में सदैव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के सभ्य समाज के निर्माण में ग्रंथालयों का सराहनीय योगदान रहा है।
Cite this article:
सेतकुमार मल्होत्रा, अशोक कुमार. समाज की प्रगति में ग्रंथालयों की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(2):86-8.
Cite(Electronic):
सेतकुमार मल्होत्रा, अशोक कुमार. समाज की प्रगति में ग्रंथालयों की भूमिका. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(2):86-8. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-2-6
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